जब मैंने अपना घर छोड़ा था
जब मैंने तेरे लिए अपना घर छोड़ा था,
अपने तमाम रिश्तों को पल में तोड़ा था।
तेरे अलावा कुछ नहीं दिख रहा था मुझे,
तुझसे शादी का दुप्पटा सर पर ओढ़ा था।
अपने हर रिश्ते को निभाया था प्यारे से,
तिनका तिनका कर मैंने हर बंधन जोड़ा था।
मुझे तेरे सिवा कोई रास नहीं आया कोई,
और मुँह मुझसे मेरे अपनों ने मोड़ा था।
प्यार मुझे अपनों ने भी बहुत किया "निक्क",
मगर वो तेरे प्यार के आगे थोड़ा था।।
जब मैंने तेरे लिए अपना घर छोड़ा था,
अपने तमाम रिश्तों को पल में तोड़ा था।
Punam verma
24-Jun-2022 11:22 AM
Nice
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nikksinghnikhil
24-Jun-2022 01:15 PM
Thank you
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Shrishti pandey
24-Jun-2022 10:49 AM
Nice
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nikksinghnikhil
24-Jun-2022 01:15 PM
Thank you
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Abhinav ji
24-Jun-2022 07:46 AM
Nice 👍
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nikksinghnikhil
24-Jun-2022 01:16 PM
Thank you
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